नीचे के छायाचित्र उन भंडारा खाने वाले संतों के हैं जो बड़े-बड़े मठाधीशों के भंडारों में भीड़ बढ़ाते हैं ताकि दानी सज्जन इन दरिद्र संतों की चिकित्सा और भोजन व्यवस्था के नाम पर मोटा दान चंदा दे सके? साथियों उत्तराखंड में जिस प्रकार से बरसात के कारण पहाड़ों में जलजला है और नदियों में भारी तूफान है उससे हरिद्वार के निचले गांव में बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है लेकिन हरिद्वार में सप्त सरोवर क्षेत्र में गंगा के किनारे भंडारा खाने वाले गेरुआ वस्त्र धारी तथाकथित संत जो परिवार के साथ भंडारों में प्राप्त नगदी के लिए आश्रमों का आश्रय लेकर अपने जीवन का भरण पोषण कर रहे हैं और गंगा किनारे प्रजनन में लगे हुए हैं आज गंगा नदी में काफी जलस्तर बढ़ने के कारण उनकी झोपड़ियां तक पानी आ गया है। जिस कारण से यह लोग गंगा के ऊपर बने हुए बंदे पर आकर बैठ गए हैं सनातन धर्म को संचालित करने वाले ठेकेदार जो बड़े-बड़े मठाधीश हैं एवं सनातन धर्म की जय जय कार करने वालो के नाम पर मोटा चंदा लेकर के दरिद्र नारायण रंगे हुए वस्त्रों की दरिद्रता को दिखा करके मोटा चंदा प्राप्त करने वाले मठाधीश केमठ के दरवाजे इनके लिए नहीं खुले इनकी पूरी गृहस्ती सड़क पर आकर खड़ी हो गई है लेकिन मजाल है कि किसी संत ने अपने मठ के द्वार उन वस्त्र धारी दरिद्र नारायण संतों के लिए खोले हो? हरिद्वार में दो ऐसे धार्मिक संस्थान हैं जो लगातार इन दरिद्र नारायण को भोजन सुबह श्याम कराते हैं नंबर एक है बाबा बंसी वालों का आश्रम और नंबर दो पर है गीता कुटीर जिसमें फकड़ो के लिए सुबह श्याम भोजन की व्यवस्था एवं अन्यआवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था उपलब्ध निरंतर कई वर्षों से कराई जाती है। क्या इन सभी मठाधीश ओं को ऐसे समय में जब गंगा नदी उफान पर है और उनके रहने के स्थानों पर पानी भर गया है उनके दैनिक उपयोग की खाने पीने की वस्तुएं एवं वस्त्र भी गए हैं ऐसी स्थिति में यह लोग सब सड़क पर आकर बैठ गए हैं ऐसे में किसी भी संतो ने अपने मठों के द्वार इन दरिद्र नारायण गेरुआ वस्त्र धारी संतों के लिए नहीं खोले हैं हम सभी शहर वालों को यह ध्यान में रखना होगा जो सनातन के लिए बातें करते हैं सनातन का पाठ इन बड़े-बड़े मठाधीश ओं को अवश्य पढ़ाएं। प्रशासन को चाहिए था कि इन दरिद्र नारायण संतो के लिए मठों के द्वार खुलवाए जाएं और बरसात के इस मौसम में उन्हें मठों के अंदर रखा जाए? जिनकी मोटी आय जीन की फोटो दिखा करके प्राप्त की जाती है