( 1 ) श्री मिनाक्षी सुन्दरम सचिव उत्तराखण्ड शासन । ______________________________________________________ ( 2 ) मुख्य प्रशासक आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण देहरादून । ____________________________________________________ ( 3 ) मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक नगर एवं ग्राम नियोजक विभाग देहरादून । आवास विभाग – 2 ______________________________________________________ ( 4 ) उपाध्यक्ष हरिद्धार रुड़की विकास प्राधिकरण हरिद्वार —————————————_________ विषयः माननीय राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेशों के क्रम में मैदानी क्षेत्र में गंगा एवं इसकी सहायक नदियों के किनारे अपेक्षित रेज्यूलेशन पौलिसी निर्माण कार्य हेतु गाइडलाइंस पर बायलॉज निर्गत किए जाने विषयक । महोदय उपर्युक्त विषयक प्रकरण के संबंध में सम्यक विचारोपरान्त किये गये निर्णयानुसार मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है कि मा ० नेशनल ग्रिन ट्रिब्युनल में पारित आदेशों के क्रम में मेदानी क्षेत्रों एवं इसकी सहायक नदियों के तटीय विकास / निर्माण निम्नलिखित प्रतिबन्धो के आधीन अनुमान्य किये जाने की सहर्ष स्वीकृति प्रदान की जाती है। मैदानी क्षेत्र _________________________ ( अ ) – प्रतिबन्धित जोन— मा० ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा गंगा नदी एवं इसकी सहायक नदियों के मध्य से 200 मीटर तक के क्षेत्र को प्रतिबन्धित जोन निर्धारित किया गया है। उक्त क्षेत्र में परिस्थति में तटबन्ध / बाढ़ प्रबन्ध वृक्षा रोपण , घाट निर्माण व नदी तटीय विकास / निर्माण अनुमान्य होंगे। _ . नोट – उक्तानुसार पारिभाषित प्रतिबंधित जोन का निर्धारण सिंचाई विभाग द्वारा किया जाएगा ( ब ) – रेगुलेटरी जोन – मा 0 राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा गंगा नदी एवं इसकी सहायक नदियों के मध्य से 200 मीटर से अग्रेत्तर एग्री तार 300 मीटर तक के क्षेत्र को रेगुलेटरी जोन निर्धारित किया गया है । ( 1 ) नदी के तट से 30 .0 30 . 0 मीटर तक का क्षेत्र अथवा ऐसे क्षेत्र जो पच्चीस साल के अंतराल के आधार पर ( f Iood upto 25 year frequency ) बाढ़ प्रभावित हो में से जो भी अधिक होगा में किसी भी प्रकार का निर्माण अनुमान्य नहीं होगा रेगुलेटरी जोन वृक्षारोपण / पार्क / मैदान / कृषि आदि ततसंबंधी गतिविधियों हेतु आरक्षित होगा । इसके अतिरिक्त समय-समय पर होने वाले धार्मिक मेलों हेतु स्थाई निर्माण द्वारा प्रतिबंध के साथ अनुमन्य होंगे कि उक्त गतिविधियों द्वारा उत्सर्जित होने वाला जलमल पेट्रोल अपशिष्ट का होना चाहिए समुचित प्रबंध माननीय राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए निर्देशानुसार होगा तथा उक्त का प्रशिक्षण उत्तर उत्तराखंड पेयजल निगम से कराया जाएगा

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