पत्नी को लेकर बाजार गया था। रास्ते में कुछ काम से वह गाड़ी से उतरी और मैं अंदर ही बैठा रहा। उसी वक्त मेरे मोबाइल पर एक मैसेज आया। मैसेज खोलकर देखा तो पचास हजार रुपये किसी ने भेजे थे।
मैं अचंभित था! कौन इतना दरिया दिल है भाई, जो इस कड़की में मुझे पैसे भेज रहा है? दिल तेजी से धड़कने लगा। सोचने लगा – कहीं कोई गलती से तो पैसे नहीं भेज गया?
तीन महीने से घर की हालत खराब चल रही थी। नौकरी चली गई थी, और नया काम शुरू करने के लिए पूंजी भी नहीं बची थी। ऊपर से EMI, बच्चों की फीस, और रसोई का खर्चा—सब कुछ बोझ बन चुका था।
पत्नी वापस आई, तो मैंने उससे कुछ नहीं कहा। बस चुपचाप मोबाइल फिर से देखा—मैसेज में लिखा था: “For the faith you showed when I needed it most – R.”
“R?” कौन है ये R?
रात को नींद नहीं आई। दिमाग उसी मैसेज में अटका था। ‘R’… कहीं रोहित तो नहीं?
रोहित मिश्रा, मेरा एक पुराना दोस्त। कॉलेज में साथ पढ़ते थे। उसकी हालत तब मुझसे भी खराब थी। एक बार वो आत्महत्या तक करने वाला था, जब मैंने उसे एक लंबा लेटर लिखा था, समझाया था कि जिंदगी यूं खत्म करने की चीज नहीं है।
उसे कुछ पैसे भी दिए थे, जो मेरे पास मुश्किल से थे। वो तब बंगलौर चला गया था और फिर कभी संपर्क नहीं हुआ।
क्या वही रोहित है?
सुबह होते ही मोबाइल फिर से बजा। स्क्रीन पर वही नंबर।
“Hello?” मैंने थोड़े संदेह और थोड़े उत्साह से कहा।
दूसरी तरफ से आवाज आई—”भाई… ये रकम बहुत छोटी है उस भरोसे के सामने जो तुमने मुझ पर किया था। मैं आज जो भी हूँ, तुम्हारी वजह से हूँ।”
“तू रोहित है?”
“हां भाई… रोहित। और आज मैं चाहता हूँ, तुझमें वही भरोसा लौटाऊँ जो तूने मुझ पर किया था।”
मेरे गले में कुछ अटक गया। आँखें नम हो गईं। पैसे मिलना खुशी की बात थी, पर किसी ने विश्वास लौटाया, यह उससे भी बड़ी बात थी।
जब पत्नी को बताया, तो वह मुस्कराई और बोली, “अब समझ में आया, क्यों मैं जब भी कहती थी कि किसी की मदद करना बेवकूफी है, तो तुम कहते थे – ‘कभी-कभी बेवकूफी ही सबसे बड़ा निवेश होती है।'”
मैंने उसका हाथ थामा और कहा, “शायद हमें फिर से शुरुआत करनी चाहिए।”
“कहाँ से?”
“उस भरोसे से… जिससे मैंने रोहित को खड़ा किया था।”
हमने मिलकर घर के एक कोने से शुरुआत की—पत्नी को बेकिंग का शौक था, और मुझे मार्केटिंग आती थी। हमने मिलकर एक होम-बेकरी शुरू की।
हर दिन की एक बिक्री, एक ग्राहक, एक मुस्कान—धीरे-धीरे सब कुछ बदलता गया।
बिजनेस बढ़ा, सोशल मीडिया पर ऑर्डर आने लगे। हमने ब्रांडिंग की, पैकेजिंग पर ध्यान दिया और “Bharosa Bites” नाम से एक ऑनलाइन बेकरी बना दी।
लोग पूछते थे – नाम क्यों ऐसा?
मैं हर बार मुस्कराकर कहता—“क्योंकि एक समय भरोसे की वजह से मेरी दुनिया बदल गई थी।”
सीख – कभी मत सोचो कि तुम्हारा छोटा सा काम बेकार है
दो साल बाद, जब हम एक बड़ी बेकरी खोल रहे थे, तब मैंने दुकान के एक कोने में एक फ्रेम लगवाया—जिसमें वो मैसेज था:
“For the faith you showed when I needed it most – R.”
हर ग्राहक जब उसे पढ़ता, तो कुछ देर रुककर सोचता।
और यही था मेरा मकसद।
हम अक्सर सोचते हैं कि हमारे छोटे-छोटे कामों का क्या असर होगा। पर यह कहानी सिखाती है कि हर छोटी मदद, एक बीज की तरह होती है। समय आने पर वही बीज वटवृक्ष बन जाता है—हमारे लिए भी, और दूसरों के लिए भी।
इसलिए कभी किसी पर भरोसा करने से डरना मत।
कभी किसी की मदद करने से झिझकना मत।
कभी किसी की तकलीफ देखकर आंखें मत मूंदना।
क्योंकि क्या पता, कल वही “R” बनकर तुम्हारे जीवन में रोशनी लाए। 🌸 अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो… 🌸 🙏 कृपया Like और Comment जरूर करें। आपकी प्रतिक्रियाएं ही मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं, जो मुझे और भी सुंदर और भावनात्मक कहानियाँ लिखने का हौसला देती हैं। #साभार #फेसबुक #followerseveryone .