प्लीज सर ! सर !
सर आप हमारी पुलिस हैं !!
  सर सर हमारी मदद कीजिए !!!
गाड़ी नहीं उठाईये सर sssss
चालान नहीं करिये स sssssses र

आजकल के समय में टूह्वीलर ( वाइक–स्कूटर ) के स्वामी से ज्यादा ग़रीब कोई नहीं होता उसके लिए उसके परिवार के लिए “चालान” करना, उनकी गाड़ियां सीज करना, उठा कर ले जाना,
उन परिवारों की हत्या करने के ही समान है।

आतंकवादी तो एकदम मार देते हैं,
उनके हाथों मरने से मुआवजा भी मिल
सकता है,  परन्तु पुलिस मारती नहीं है
आर्थिक रूप से तड़फाती है

श्रीमान जी ,
इन टू ह्वीलर वालों में से अधिकांश की तनख्वाह १५ हजार रुपए और अठारह हजार रुपए होती है इतने कम में केसे जी लेते हैं ? पता नहीं ।

२५-३०- ३५ हजार पाने वालों का तो पूरे परिवार का बजट ही फेल हो जाता है आपके द्वारा किए जाने वाले चालान से। यदि उसी चालान से बसूले गए रुपए से ही वे कागजात भी बन जाएं जिनके लिए चालान किया गया है तो  आम जन को भी राहत मिलेगी।
जब भी क्रेन द्वारा वाईक लादी जाती हैं , उस समय  वहां भी मध्यम श्रेणी के लोगों का ही वाहन लूटा जा रहा होता है आतंकित करने वालों के द्वारा ? इसीको कहते हैं तड़फा तड़फा कर मारना।

अब  ये आम लोग जिनका स्कूटर वाईक लूटा जा रहा है वे लोग बहुत ही मुश्किल से पुलिस चौकी पहुंचेगें, बहुतों की जेब में पैसा भी नहीं होगा,
तब आतंकवादियों के समान हरकत करने वाले अपने  साहब की नजरों में अपने नम्बर बढ़ाने के लिए चालान करेंगे। यदि दूसरे दिन तक ये आम लोग अपने  टू ह्वीलर नहीं छुड़ा पाये तो उन   गाड़ियों का पुर्जा पुर्जा निकाल कर बेच दिया जायेगा।
—- इसलिए श्रीमान जी!

रहम करियेगा! रहम करियेगा!! रहम करियेगा!!!

निवेदक :—- पण्डित गोपाल कृष्ण बडोला
बडोला जी वैलफेयर फाउण्डेशन हरिद्वार

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